नमस्कार, प्यारे शिव भक्तों आप लोगो ने ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र के बारे में तो सुना ही होगा, जो की भगवान शिव का मूल मंत्र है, ठीक उसी प्रकार भगवान भोलेनाथ का एक अन्य मंत्र ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र है। इस मंत्र में भी मात्र तीन शब्द है, जिनका उच्चारण करके भगवान शिव का आह्वान किया जाता है अर्थात एक तरह से मेडिटेशन किया जाता है।
सनातन धर्म में प्राचीन काल से सुर और असुर मंत्रो का जाप करके भगवान शिव को प्रसन्न करते थे और शिव जी प्रकट होकर उन्हें मनोवांछित वरदान देते थे। आजकल इस कलयुग में भोलेनाथ प्रकट तो नहीं होते है लेकिन जो भी व्यक्ति श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करता है उनकी इच्छाओं की पूर्ति जरूर होती है।
दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आपको श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र जाप (Shree Shivay Namastubhyam Mantra in Hindi) के बारे में सब कुछ बताया जायेगा अर्थात इस मंत्र का जाप क्यों करना चाहिए, कब करना चाहिए और कितनी बार करना चाहिए। सनातन धर्म में ऋषि मुनि किसी भी शुभ कार्य के लिए पूजा करते थे उसमें मंत्रोचारण जरूर करते थे। भारतीय ऋषि मुनी आयुर्वेद और मंत्राें के बल पर किसी भी रोग को ठीक करने की शक्ति रखते थे।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं Lyrics
“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र की लिरिक्स में मात्र तीन ही शब्द होते है। इस मंत्र का उच्चारण भी ठीक वैसे ही किया जाता है, जैसे ॐ नम: शिवाय मंत्र का। इस मंत्र का दिन में 108 बार उच्चारण मन में करने से मेडिटेशन होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक लाभ मिलता है, दूसरी और इस मंत्र को बोलकर उच्चारण करने पर भगवान शिव को प्रसन्न करके अपनी मनोकामनाएं की पूर्ति कर सकते है।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का अर्थ
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का मतलब यही होता है की हे भगवान शिव जी मै आपको प्रणाम करता हूँ या नमस्कार करता हूँ अर्थात इस मंत्र का बार बार उच्चारण करके भगवान शिव का ध्यान अपनी और किया जाता है।
भगवान शिव अत्यंत ही दयालु और भोले स्वभाव के महादेव है। जिन्हे श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करके अति शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है और मनोवांछित वरदान प्राप्त किया जा सकता है।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की महिमा
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं एक संस्कृत मंत्र है, जिसे शिव भक्ति में उपयोग किया जाता है। इस मंत्र का अर्थ होता है, “हे भगवान शिव, आपको नमस्कार है, अर्थात शिव जी का ध्यान करने के लिए यह मंत्र आवश्यक है।
भगवान शिव, हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति में से एक माने जाते हैं, जिन्हें सृष्टि, स्थिति और संहार के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे ध्यान, तपस्या, समर्पण और अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के प्रलय के समय उनका अहिंसक तांडव नृत्य विख्यात है।
मंत्रों का जाप ध्यान और आत्मसमर्पण के साथ किया जाता है और इससे मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ हो सकता है। शिव भक्ति में श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करने से बुद्धि शुद्धि होती है, मन की शांति मिलती है और ध्यान में स्थिरता आती है। भक्ति और समर्पण की भावना से जीवन के समस्त क्षेत्रों में सफलता की प्राप्ति हो सकती है।
यह मंत्र शिव पूजा, शिव चालीसा और शिव स्तुति जैसे शिव भक्ति साधनाओं में एक अहम भूमिका निभाता है। शिव भक्तों को इस मंत्र का नियमित जाप करके आनंद, शांति और समृद्धि का अनुभव होता है।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की उत्पत्ति
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र को शिव महापुराण से लिया गया है। शिव पुराण में भगवान शिव के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है और इसमें भगवान शिव की महिमा, उपासना, उपाख्यान, विभूति, तपस्या, विविध लीलाएं, उपास्य रूप, वैष्णवी शक्ति और धर्मिक उपदेश आदि विविध विषयों का विवरण है। शिव पुराण में, शिव के बारे में अनेक कथाएं और उपासना संबंधित विधियाँ वर्णित हैं, जिनमें यह मंत्र अपनी महत्ता प्राप्त करता है। शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के जाप से भक्त अपने मन को शिव की अद्वैत चेतना की ओर प्रवृत्त करता है और उनके समीप आने का अनुभव करता है।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप कैसे करें
दोस्तों, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र अत्यंत ही लाभकारी है। लेकिन यदि इस मंत्र का जाप सही ढंग से ना किया जाए तो उसका फल नहीं मिलता है।
1. सबसे पहले, आपको ध्यान स्थान चुनना होगा, जहां आप शांति और चिंता मुक्त रह सकते हैं। वह स्थान पवित्र और शुद्ध होना चाहिए।
2. मन्त्र का उच्चारण करने का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल का होता है, क्यूँकि इस समय सब जगह शांति का वातावरण बना रहता है।
3. एक सुखद आसन पर बैठें जिसमें आपको आराम हो, जमीन से लगता हुआ हो जैसे की चटाई या कोई कपड़ा यदि संभव हो, कुशा आसान या पद्मासन जैसे ध्यान के लिए विशेष आसनों का उपयोग करें।
4. इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान केंद्रित होना बेहद ही जरूरी है, यदि आपका मन विचलित है तो उस टाइम मंत्र का जाप न करे।
5. श्वास-प्रश्वास की सामान्य गति में एक उच्चारण में “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र का जाप करें। आप इसे मौन भी कर सकते हैं अथवा बोल कर भी कर सकते हैं।
6. आपको यह बातें विशेष ध्यान में रखनी है कि आपके मंत्रों का उच्चारण बिल्कुल सही होना चाहिए।
7. 108 बार रुद्राक्ष माला के साथ इस मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
8. जब आप अपने जाप को पूरा कर लें, तो एक शांति भाव के साथ कुछ समय ध्यान में बिताएं। आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव को धन्यवाद दें।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करने से क्या होता है?
1.इस मंत्र के जाप से मन में नकारात्मक विचार नहीं आते है, असंभव कार्य भी आसानी से होता है और जीवन में तरक्की मिलती है।
2.इस मंत्र के जाप से शिव के आराध्यता और आत्मिक संपन्नता में वृद्धि होती है। यह मानसिक शांति, आध्यात्मिक साधना, ध्यान, और मन की एकाग्रता को प्रोत्साहित करता है।
3.शिव के मंत्र का जाप करने से आप उनके कृपा और आशीर्वाद का आवाहन करते हैं। यह आपको संघर्षों, संकटों और अवरोधों से निपटने में सहायता करता है।
4.श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के जाप से पुराने रोगो से जल्दी छुटकारा मिलता है, शारीरिक विकलांगता दूर होती है।
श्री शिवाय नमस्तुभयम 108
नीचे दिए गए वीडियो में आपको श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप 108 बार सुनने को मिलेगा। आप इसे अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर लगा कर इस मंत्र का ऑडियो के साथ-साथ जाप कर सकते हैं।
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FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. श्री शिवाय नमस्तुभयम का मतलब क्या होता है?
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का मतलब यही होता है की हे भगवान शिव जी मै आपको प्रणाम करता हूँ या नमस्कार करता हूँ अर्थात इस मंत्र का बार बार उच्चारण करके भगवान शिव का ध्यान अपनी और किया जाता है।
Q. श्री शिवाय नमस्तुभयम को संस्कृत में कैसे लिखें?
‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र संस्कृत का ही वाक्य है, जिसका उल्लेख शिव पुराण में मिलता है।
Q. श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप दिन में 108 करना सर्वश्रेष्ठ है।
Q. बिना माला के जप कैसे करें?
यदि आपके पास मंत्र उच्चारण के लिए माला नहीं है तो आप उंगलियों पर मंत्रो की गिनती करके कोई भी मंत्र का जाप कर सकते हो।
Q. जाप के लिए कौन सी माला अच्छी है?
मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष के मोती की माला सबसे उत्तम है।