प्यारे शिव भक्तों, यदि आप भी कालसर्प दोष से परेशान हो रहे हो, जीवन में सुख समृद्धि नहीं है, तो आपको भी आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ रोजाना करना चाहिए। इस स्तोत्र का पाठ करना काफी आसान है, क्योंकि इस स्तोत्र में मात्र 5 श्लोक है जिनका पाठ करने में मुश्किल से 15-20 मिनट लगते है।
इस लेख में शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ से होने वाले सभी प्रकार के फायदों (shiv panchakshar stotra benefits) के बारे में चर्चा करेंगे। आप किसी भी प्रकार के कष्ट और समस्या का निवारण शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करके दूर कर सकते हो। शिव पंचाक्षर स्तोत्र में ॐ नम शिवाय मंत्र की उत्पति होती है, जिसका रुद्राक्ष माला के साथ जाप करने पर भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न होते है और मनोवांछित वरदान देते है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के शब्दों का पाठन और गान भगवान शिव की पूजा-अर्चना के समय उपयोग में लाया जाता है। इसका पाठ करने और सुनने से साधकों को आत्मिक शांति, उन्नति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
सबसे पहले इस लेख में शिव पंचाक्षर स्तोत्र की लिरिक्स दी गई है। इसके बाद इस मंत्र से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है।
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लाभ
1. बहुत से लोगो की कुंडली में कालसर्प दोष होने से वे परेशान रहते है। उनको इस दोष से मानसिक तनाव रहता है, वें चिड़चिड़े होते जाते है, मेहनत करने पर भी फल की प्राप्ति नहीं होती है, तो उस व्यक्ति को रोजाना शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
2. जो कोई भगवान शिव के इस पंचाक्षर मंत्र का नित्य उनके समक्ष पाठ करता है, वह शिव के पुण्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुखपूर्वक निवास करता है।
3. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नित्य पाठ करने से मन में अच्छे विचार आते है अर्थात नकारात्मक विचार नहीं आते है।
4. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नियमित उच्चारण आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करता है। यह स्तोत्र आपको आध्यात्मिकता, आत्मज्ञान और सत्य की ओर प्रेरित करता है।
5. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण हो सकता है। यह आपके शरीर और मन को शुद्ध करता है और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद करता है।
6. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। यह स्तोत्र आपको सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आत्मा की मोक्ष प्राप्ति के लिए दिशा प्रदान करता है।
7. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नित्य पाठ करने से धन धान्य और कीर्ति में बढ़ोतरी होती है।
8. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ नियमित करना से घर में सुख शांति और आनंद की वृद्धि होती है।
9. जो व्यक्ति शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करता है वह सभी प्रकार की सिद्धिया प्राप्त कर सकता है।
10. महाशिवरात्रि पर इसका पाठ करना बेहद ही शुभ फलदायी और मंगलकारी माना गया है।
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट में हमने शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ से होने वाले सभी लाभ (shiv panchakshar stotra benefits) के बारे में चर्चा की है तथा इसके साथ ही शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पांच श्लोकों की लिरिक्स भी उपलब्ध कराई है, जिसको आप ऑनलाइन पढ़ सकते हो।
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FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. महादेव को बुलाने का मंत्र क्या है?
वैसे तो महादेव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र है, लेकिन इनमे ॐ नम शिवाय मंत्र प्रमुख है।
Q. ओम नमः शिवाय को पंचाक्षरी क्यों कहा जाता है?
क्योंकि ॐ नम शिवाय वाक्य की उत्पति शिव पंचाक्षर मंत्र से हुई है अर्थात शिव पंचाक्षर मंत्र के पांच श्लोको के प्रथम वर्ण मिलकर न म शि वा य मंत्र की रचना करते है।
Q. ओम नमः शिवाय मंत्र कितने दिन में सिद्ध होता है?
ॐ नम शिवाय मंत्र का 27 दिन तक जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
Q. क्या हम रात में ओम नमः शिवाय का जाप कर सकते हैं?
हाँ, ॐ नम शिवाय मंत्र का जाप कभी भी कही भी कर सकते है।
ऊं नमः शिवाय मंत्र सिद्ध होने पर क्या प्रभाव पड़ता है।
ॐ नम: शिवाय मंत्र सिद्ध होने पर मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति होती है
आप पांच तत्वों को नियंत्रित कर लेते हो क्योंकि इन्ही पांच तत्वों से देह है……सभी कष्ट समाप्त होते है और मन एकाग्र होता है. जिसका मन नियंत्रण में है उसका सब प्रकार से भला निश्चित है…