प्यारे शिव भक्तों, दरिद्र दुख दहन स्तोत्र का मतलब गरीबी का दहन होता हैं। यदि कोई व्यक्ति गरीबी और आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो ऐसे लोगो के लिए दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र (Daridra Dahan Shiv Stotra) का पाठ करना काफी लाभदायी होता है। गरीबी शारीरिक ही नहीं मानसिक भी होती है। आज के कलयुग में मनुष्य मानसिक दरिद्रता अर्थात नकारात्मक विचारों से ग्रसित है यह नकारात्मक विचार क्रोध, ईर्ष्या, भय, अहंकार, स्वार्थ, मोह आदि हो सकते है।
इस स्तोत्र का पाठ वह व्यक्ति करे जो आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो सर्वोत्तम फलदायी होता है, इसके अलावा व्यक्ति के परिजन जैसे पति-पत्नी, भाई-बहन, माता-पिता के द्वारा भी करने पर लाभ होता है। शिव दारिद्रय दहन स्तोत्र की रचना महर्षि वशिष्ठ द्वारा की गई थी।
दरिद्र दुख दहन स्त्रोत का पाठ
विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय।
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।1।
गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय ।2।
भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।3।
चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय।
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।4।
पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय।
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।5।
भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।6।
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।7।
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।
मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय।8।
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित (daridra dahan shiv stotra meaning in hindi)
हे जगत के ईश्वर, नरक के समुद्र को धारण करने वाले, श्रवण के माध्यम से अमृत को धारण करने वाले, चंद्रमा को सिर पर धारण करने वाले, जिनकी जटाये कपूर के समान सफ़ेद बर्फ की तरह प्रकाशित हो रही हो, दारिद्र्य और दुःख को दहन करने वाले जगदीश्वर को नमस्कार करते हैं।1।
जो माता पार्वती को प्रिय हैं, जिन्हें रात्रि के समय की काली तारों की माला (रजनीशकला) पहनाई गई हो, जिनके हाथों में सर्पों की माला (कंकण) है, अर्थात सर्पों को नियंत्रण करने की शक्ति को प्रकट करते हैं, जो गंगा को अपने जटाओं में संभाले हुए हैं, हाथीराज को निगलने वाले, संकटों का नाश करने और सुख-शांति प्रदान करने वाले भोलेनाथ को नमस्कार है ।2।
जो भक्ति को प्रिय रखते हैं, जो भव-संसार के रोगों और भय को दूर करने वाले है, जिनका रूप उग्र है, जो संसार के दुर्गम सागर से उद्धार करने वाले है, जो प्रकाशमय हैं, जो गुणों के समुदाय के स्वामी और सभी श्रेष्ठ गुणों के स्वामी है, दारिद्र्य और दुःख को दहन करने वाले भगवान शिव को नमस्कार हैं।3।
जिन्हें चमड़े का वस्त्र धारण किया हुआ है, जिन्हें शव और भस्म (धूलि) से आच्छादित किया जाता है,जिनकी भूजा (लक्षण) में तीसरी आंख (भाला) है, जिनके कानों में मणि के कुंडल लटकते हैं,जिनके पैरों में मंजीर बांधे हुए हैं, जिनके सर पर जटाये है, ऐसे दारिद्र्य और दुःख को दहन करने वाले भगवान शिव को नमस्कार हैं।4।
जिनके पांच मुख हैं, जिनकी शरीर की विभूषणा फनिराज अर्थात ज्वालामुखी जैसी है, जिनके सिर पर सोने के तेज का तिलक है, जिनके भुवन (सृष्टि) के तीनों लोक मण्डित हैं, जो आनंद की भूमि हैं और वरदान देने वाले हैं, ऐसे शिव को नमस्कार करते हैं।5।
जो सूर्य को भी प्रिय हैं, जो संसार के सागर को तारित करने वाले हैं, जो काल का अन्त करने वाले हैं, जिनकी पूजा करने के लिए कमलासन (पद्मासन) आसन उपयुक्त है, जिनके तीनों आंखे हैं, इसके माध्यम से हम शिव की महिमा, गुणों और शक्तियों का गुणगान करते हैं और उन्हें दारिद्र्य और दुःख से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।6।
जो श्रीराम को प्रिय हैं,जो रघुकुल के वर (श्रेष्ठतम) दाता हैं, जो सर्पों को प्रिय हैं, जो नरक के सागर से तारित करने वाले हैं,जो पुण्यों में पुण्य भरे हुए हैं, ऐसे शिव को नमस्कार करते हैं। यह शब्द हमें शिव की संसारिक दुःखों से मुक्ति और उद्धार करने की शक्ति को प्रकट करते हैं ।7।
सदैव मुक्ति को प्रदान करने वाले, फलों के दाता, गणेश के ईश्वर, गीत के प्रिय भगवान, वृषभ (नंदी) के स्वामी, मातंग (हाथी) के चर्म से धारण करने वाले, महेश्वर (शिव) के वाहन, दारिद्र्य (गरीबी) और दु:ख को दहन करने वाले, हे शिवाय नमः।8।
दारिद्र्य अर्थ
दारिद्र्य का मतलब है की लक्ष्मी प्राप्ति में रूकावट आना, अस्वस्थता, निराशा, कोई काम सफल नहीं होना, व्यापार में वृद्धि ना होना, भाग्यशाली न होना, जीवन में किसी भी प्रकार की प्रगति न होना आदि होता है।
दरिद्र दुख दहन स्त्रोत कैसे करें
1. सर्वप्रथम स्तोत्र का पाठ करने के लिए शुद्ध और शांतिपूर्वक स्थान चुनें, जैसे मंदिर या पूजा कक्ष।
2. शिवलिंग को स्नान कराये और प्रारम्भिक पूजा के लिए दीपक, धूप, अक्षत, फूल आदि लें।
3. शिव जी का मन में ध्यान करे और जो धन से संबंधित मनोकामनाये है उन्हें शिव जी को बताते हुए ध्यान करे फिर पाठ आरम्भ करे ।
4. संकल्प करें कि आप दारिद्र्य दुःख दहन स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं और इसके माध्यम से आप दारिद्र्य और दुःख से मुक्ति की कामना कर रहे हैं।
5. इस स्तोत्र के श्लोकों को बोलकर पाठ करे तो ज्यादा अच्छा है अन्यथा इसे मन में भी इसका जाप कर सकते है
6. स्तोत्र पाठ के बाद शिवलिंग को फूल, बिल्वपत्र, गंध और पुष्पांजलि आदि अर्पित करे। फिर आरती गाएं और शिव की प्रार्थना करें।
7. इसका रोज शाम प्रदोष काल में पाठ करना शुभ माना गया है। प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 30 मिनट पहले शुरू होता है और सूर्यास्त से लगभग 30 मिनट बाद तक रहता है।
8. यदि आपके पास शाम को समय नहीं है तो इसे सुबह सूर्योदय से आधा घंटा पहले भी किया जा सकता है।
9. शिव दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ 108 बार करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
10. निरंतर तीन महीनों तक गन्ने के रस से शिव लिंग पर 13 बार स्तोत्र का पाठ पढ़कर अभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में PDF
दोस्तों कई बार कुछ इलाकों (पहाड़ो) में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से कई शिव भक्त ऑनलाइन दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का पाठ नहीं कर पाते है, अत: यंहा आपको दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र को PDF फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराया गया है, जिसे आप मोबाइल में सेव कर सकते है-
निष्कर्ष
प्यारे शिव भक्तों, इस प्रकार हमने दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र (Daridra Dahan Shiv Stotra) की लिरिक्स उसके हिंदी अर्थ के साथ उपलब्ध कराई है, साथ ही इनको PDF फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराया है। इस प्रकार आप शिव दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ करके भगवन भोले नाथ को आसानी से प्रसन्न कर सकते है, और आर्थिक तंगी से छुटकारा पा सकते है। दोस्तों ये पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करे और और आपके मन में कोई सुझाव हो तो निचे कमेंट जरूर करे।
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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी में का You Tube पर Video भी देख सकते है –
FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. घर में शिवलिंग कैसे रखनी चाहिए?
घर में शिवलिंग हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह किए हुए रखना चाहिए और शिवलिंग को कभी भी अकेला नहीं रखना चाहिए, इसके साथ मां पार्वती और गणेश जी की मूर्तियां भी रखनी चाहिए। शिवलिंग पर हमेशा बेलपत्र ही रखना चाहिए ,तुलसी की पत्तियां नहीं।
Q. क्या गमले में शिवलिंग रख सकते हैं?
शिवलिंग को जमीन या मिट्टी पर रखना वर्जित है, इसके साथ ही शिवलिंग को हमेशा मंदिर में स्थापित करना चाहिए, गमले में नहीं।