प्यारे शिव भक्तों, वैसे तो भगवान शिव की महिमा का बखान के लिए अनेक अष्टकों की रचना हुए है, लेकिन शिवाष्टक स्तोत्र (shri shiv chalisa shivashtak strot) का अपना विशेष महत्व है। शिवाष्टक स्तोत्र की रचना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। इस पोस्ट के माध्यम से शिवाष्टक स्तोत्र की लिरिक्स के साथ उसकी PDF भी निचे दी गई है, जिसे आप अपने मोबाइल या टेबलेट में सेव कर सकते है और डेली शिव चालीसा शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ कर सकते है। वैसे तो सप्ताह के सभी दिन शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करने के लिए उपयुक्त है लेकिन सोमवार को भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाये ओर अधिक ध्यान से सुनते है।
॥ श्री शिवाष्टकं ॥
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानन्दभाजम् ।
भवद्भव्यभूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 1॥
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् ।
जटाजूटगङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 2॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डलं भस्मभूषाधरं तम् ।
अनादिह्यपारं महामोहहारं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 3॥
वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ।
गिरीशं गणेशं महेशं सुरेशं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 4॥
गिरिन्द्रात्मजासंग्रहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्नगेहम् ।
परब्रह्मब्रह्मादिभिर्वन्ध्यमानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 5॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।
बलीवर्दयानं सुराणां प्रधानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 6॥
शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्द पात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।
अपर्णाकलत्रं चरित्रं विचित्रं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 7॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥ 8॥
स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः ।
स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं विचित्रं समासाद्य मोक्षं प्रयाति ॥
॥ इति शिवाष्टकम् ॥
शिव चालीसा शिवाष्टक स्तोत्र का महत्व
ऊपर दिए गए शिवाष्टक स्तोत्र में 8 श्लोक भगवान शिव की महिमा का बखान निम्न प्रकार करते है –
पंक्ति 1: शिवाष्टक की प्रारंभिक पंक्ति का अर्थ और महत्व
पंक्ति 2: भगवान शिव की गुणगान
पंक्ति 3: शिव की भक्ति का महत्व
पंक्ति 4: शिव की महिमा और शक्ति का वर्णन
पंक्ति 5: शिव भक्ति के फलों का वर्णन
पंक्ति 6: शिव के लिए अर्पण और आराधना
पंक्ति 7: शिव की कृपा और उपासना का महत्व
पंक्ति 8: शिव की महिमा के उपास्य गुण
प्रभुम प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं अर्थ
इसका मतलब है की हे प्रभु भोलेनाथ आप पूरी दुनिया के भगवान है आप पूरी दुनिया को प्राण देने और लेने वाले हो अर्थात आप मृत्यु के देवता हो इसलिए आपको “मृत्युंजय” के नाम से भी जाना जाता है।
शिवाष्टकम् स्तोत्र के लाभ (shivashtak ke fayde)
1. शिवाष्टकम् स्तोत्र के पाठ से मन की स्थिरता, ध्यान, और आध्यात्मिक संयम का विकास होता है। यह मानसिक और आध्यात्मिक शांति को प्राप्त करने में मदद करता है।
2. यह स्तोत्र शिव भक्तों को शिव के गुणों, महिमा का बखान करता है, जिससे उनकी भक्ति में स्थिरता और आकर्षण बढ़ता है।
3. शिवाष्टकम् स्तोत्र के पाठन से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का संतुलन होता है। इसका पाठन शांति, सुकून, और प्राकृतिक ऊर्जा को प्रवाहित करने में मदद करता है।
4. इस स्तोत्र का पाठ करने से हर संकट टल जाता है।
5. यह स्तोत्र का पाठ हर रोग से मुक्ति दिलाता है।
6. मनुष्यों को बुरी परिस्थिति से मुक्ति दिलाता है।
शिवाष्टकम् स्तोत्र PDF
शिवाष्टकम् स्तोत्र को PDF फॉर्मेट में प्राप्त करने के लिए निचे दी गई लिंक पर क्लिक करे –
निष्कर्ष
प्यारे शिव भक्तों, इस प्रकार हमने शिव चालीसा शिवाष्टक स्तोत्र (shri shiv chalisa shivashtak strot) का लिरिक्स के साथ इसका PDF भी उपलब्ध कराया है। जिसको आप अपने मोबाइल या टेबलेट में सेव करके डेली शिवाष्टकम् स्तोत्र का पाठ कर सकते है और भगवान शिव को प्रसन्न करके अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते है। दोस्तों ये पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करे और और आपके मन में कोई सुझाव हो तो हमें कांटेक्ट या कमेंट करे।
यह भी पढ़े – 👉 रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में with PDF
शिव चालीसा शिवाष्टक स्तोत्र का You Tube पर Video भी देख सकते है –
FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. श्री शिव अष्टकम का पाठ किसने लिखा था?
श्री शिव अष्टकम का पाठ आदि गुरु शंकराचार्य ने लिखा था, यह रामचरित मानस से लिया गया है।
Q. श्री शिव अष्टकम का पाठ कब करना चाहिए?
श्री शिव अष्टकम का पाठ सोमवार से आरम्भ करना चाहिए।
Q. शिवाष्टक किस देवता के लिए पढ़ा जाता है ?
जैसे नाम से ही स्पष्ट है की शिवाष्टक शिव +अष्टक से बना है अर्थात शिवाष्टक भगवान शिव के लिए पढ़ा जाता है।
Q. शिवाष्टक पढ़ने का उचित समय क्या है ?
शिवाष्टक पढ़ने का उचित समय रोज सवेरे या शाम है, सोमवार के दिन पढ़ना अधिक उचित है।