शिव मानस पूजा (shiv manas puja) –  shiv manas puja lyrics, shiv manas puja stotra, shiv manas puja pdf in hindi  

Shiv manas puja का मतलब “मन में करने वाली पूजा” होती है। यह बिना पूजा सामग्री के की जाती है क्योंकि  इसमें पूजा सामग्री तथा पूजा विधि की कल्पना मन ही मन या कल्पानाओं में ही की जाती है। यह पूजा अधिक शक्तिशाली होती है क्योंकि यह एकाग्रता और मानसिक रूप से की जाती है।  Shiv manas puja आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए काफी लाभकारी है क्योंकि इसमें शिव पूजा के लिए कोई सामग्री की आवयश्कता नहीं होती है।

शिव मानस पूजा श्री आदि शंकराचार्य लिखित मंत्र है। Shiv manas puja मन में ही करने से शिव अपने भक्त की हर मनोकामना को पूरा कर देते है। वैसे कहते भी है की कितना ही पूजन पाठ क्यों न कर लो, अगर आपका मन में भगवान के प्रति श्रद्धा नहीं है, तो उसका मनोवांछित फल नहीं मिलता है। शिव मानस पूजा में केवल मन का निर्मल व स्वच्छ होना आवश्यक होता है। शिव मानस पूजा स्तोत्र में कुल 5 श्लोक है। 

शिव मानस पूजा के यह पांच बोल हिंदी में यहां दिए गए है, जिन्हे आप मोबाइल या टेबलेट से रोजाना online जाप कर सकते हो और अपने आराध्य देव भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न कर सकते हो।  

shiv manas puja

शिव मानस पूजा का भावार्थ (shiv manas puja hindi arth sahit)

मैं अपने मन में ऐसी भावना रखता हूं कि हे पशुपति देव, सभी रत्नों से निर्मित इस सिंहासन पर आप विराजमान हो जाइये। हिमालय के शीतल जल से मैं आपको स्नान करवा रहा हू।  स्नान के उपरांत मै आपको रत्नजड़ित दिव्य वस्त्र अर्पित करता हूँ। केसर और कस्तूरी से बनाया गया चंदन का तिलक आपके माथे पर लगा रहा हूं। जूही, चंपा, बेलपत्र, एक चमकती लौ आदि की पुष्पांजलि आपको समर्पित करता हूँ। सभी प्रकार की सुगंधित धूप और दीपक आपको सच्चे मन से अर्पित कर रहा हूं, आप इन्हे ग्रहण कीजिए। ॥ 1 ॥

मैंने नवीन सोने के कटोरे में नौ रत्न जड़े हुए मीठे चावल, दूध और दही से बने पांच प्रकार के स्वादिष्ट भोजन, केले, सब्जियां, कपूर से सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मृदु जल और पान के पत्ते को मैंने अपने मन में भक्ति भाव के साथ तैयार किया है। हे प्रभु, कृपया इन्हे स्वीकार करें। ॥ 2 ॥    

हे प्रभु, आपके ऊपर छत्र लगाकर चंदवा और पंखा चला रहा हूँ। बेदाग दर्पण में आपका रूप सुंदरतम व भव्य दिखाई दे रहा है। वीणा, भेरी, मृदंग, दुन्दुभि, केटलड्रम आदि की मधुर ध्वनियाँ आपको प्रसन्न करने के लिए की जा रही हैं। स्तुति का गायन, आपके प्रिय नृत्य शिव तांडव को करके मैं आपको पूर्ण साष्टांग प्रणाम करते हुए आपको समर्पित कर रहा हूं। हे भगवन मेरी इस छोटी पूजा विधि स्तुति को कृपया ग्रहण करें। ॥ 3 ॥

हे महादेव, मेरी आत्मा आप ही हैं। मेरी बुद्धि माता पार्वती हैं। मेरे प्राण आपके सेवक हैं। मेरे यह पांच भौतिक पदार्थो से बना शरीर आपका घर है। सभी विषय भोगो की रचना आपकी पूजा है। मेरी नींद ही आपकी ध्यान समाधि है। मेरा कहना ही आप की प्रशंसा है। मेरा चलना-फिरना ही आपकी परिक्रमा है। मै जो करता हूँ वह आपका सम्मान है। इस प्रकार आपके भक्तों द्वारा किये गए कर्म ही आपकी अराधना है। ॥ 4 ॥

मैंने अपने हाथ, पैर, वाणी, शरीर, कर्म, कर्ण, आंख या मन से जो भी अपराध किए हैं, चाहे वे निषिद्ध हों या विहित, कृपया उन सभी को क्षमा करें। हे भोले भंडारी ! हे परोपकारी प्रभु! हे महादेव शम्भू, आपकी जय हो। जय हो। ॥ 5 ॥ 

शिव मानस पूजा के फायदे (shiv manas puja benefits) 

– आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए shiv manas puja अधिक लाभकारी होती है, क्योंकि इसमें shiv puja के लिए कोई पूजा सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है। 

– यदि आपके पास समय की कमी है, तो आप लम्बी यात्रा के दौरान भी शिव मानस पूजा मन में ही कर सकते हैं।   

– यदि आप पूजा के लिए शिवालय जाने में शारीरिक रूप से असमर्थ हो तो घर पर ही shiv manas puja करके भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हो। 

-.शिव मानस पूजा द्वारा मन को एकाग्र व शांत किया जा सकता है अर्थात इससे ध्यान (meditation) भी होता है

– शिव मानस पूजा द्वारा तनाव व विकारो को दूर किया जा सकता है क्योंकि इसमें ध्यान (meditation) किया जाता है। 

– शिव मानस पूजा करने से आप अपने जीवन में भय से मुक्त होते हैं। यह पूजा आपको संतुलित मन, शांति और समर्पण का अनुभव कराती है।

– शिव मानस पूजा करने से आपके मन की स्थिति पर प्रभाव पड़ता है। यह आपकी मनोवैज्ञानिक ताकत को बढ़ाता है और आपकी अन्य गतिविधियों में भी लाभ पहुंचाता है।

शिव मानस पूजा सामग्री

शिव मानस पूजा के लिए किसी भी प्रकार की पूजा सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इस पूजा के अंतर्गत भगवान शिव को मन या कल्पनाओं में ही बेलपत्र, पुष्प, जल ,दूध, चावल, धुप, नैवेद्य, आभूषण आदि अर्पित किया जाता है, साथ ही शिव मानस पूजा के 5 मंत्र का मन में जाप किया जाता है। अर्थात भक्तों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धापूर्वक मानसिक रूप से सभी पंचामृत दिव्य सामग्रियां अर्पित की जाती है।

शिव मानस पूजा विधि (shiv manas puja vidhi)

शिव मानस पूजा के अंतर्गत निम्न मंत्रो का जाप अपने मन में ही करे तथा पूजा सामग्री को भी कल्पना में ही भगवान शिव को अर्पित करे। 

ॐ लं पृथिव्यात्मकं गन्धं परिकल्पयामि – हे महादेव मैं आपको पृथ्वी रूपी सुगंध अर्पित करता हूँ ।
ॐ हं आकाशात्मकं पुष्पं परिकल्पयामि – हे महादेव मैं आपको आकाश रूपी पुष्प अर्पित करता हूँ।
ॐ यं वाय्वात्मकं धूपं परिकल्पयामि – हे महादेव मैं आपको पवन देव के रूप में धूप अर्पित करता हूँ।
ॐ रं वह्नयान्तकं दीपं दर्शयामि – हे महादेव मैं आपको अग्नि देव के रूप में दीपक अर्पित करता हूँ।
ॐ वं अमृतात्मकं नैवेद्यं निवेदयामि – हे महादेव मैं आपको अमृत रूपी जल अर्पित करता हूँ।
ॐ सौं सर्वात्मकं सर्वोपचारं समर्पयामि – हे महादेव मैं आपको सर्वात्मा के रूप में विश्व के सभी उपचारों को आपके चरणों में अर्पित करता हूँ।

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FAQ (frequently asked questions)

शिव मानस पूजा मन से करने वाली पूजा है, इस पूजा में कोई भौतिक वस्तु उपयोग में नहीं लाई जाती है। इस पूजा में केवल मन और कल्पनाओं के माध्यम से पूजा सामग्री भगवान शिव को अर्पित करते है। 

मानस पूजा करने के लिए केवल आपको ध्यान (meditation) करना होता है।  इस पूजा विधि में मन या कल्पनाओं में भगवान शिव को पूजा सामग्री जैसे बेलपत्र, पुष्प, जल ,दूध, चावल, धुप, नैवेद्य, आभूषण आदि अर्पित करते है साथ में मानस पूजा के पांच मंत्र का जाप भी मन में किया जाता है। 

सभी देवताओ में केवल भगवान शिव के पास ही तीसरा नेत्र है। इस तीसरे नेत्र से भगवान शिव को अलौलिक ज्ञान प्राप्त होता है। इस ज्ञानचक्षु से भगवान शिव भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में जानते है। 

भगवन शिव की तीसरी आँख अधिकतर बंद होती है। ऐसा माना जाता है की अगर शिव जी की तीसरी आँख खुल जाए तो सृष्टि पर प्रलय आ जाएगी।  

शिवपुराण में शिवजी और सृष्टि के निर्माण से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएं  बताई गई हैं। इस पुराण में अनेक चमत्कारी उपाय बताए गए हैं, जो हमारे दैनिक जीवन की आर्थिक समस्याओं को खत्म करते हैं। इन उपायों से अक्षय पुण्यप्राप्त होता है तथा पिछले पापों का नाश होता है।  

वैसे तो शिव पुराण को हर कोई पढ़ सकता है लेकिन इसके पढ़ने का तरीका होता है, इसके लिए शिव भक्तों को कथा वाचक यानी कथा सुनानेवाले सम्मानीय व्यक्ति या ब्राह्मण से दीक्षा लेनी चाहिए।

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