शिव चालीसा हिंदी में pdf | shiv chalisa PDF in hindi

शिव भक्तो द्वारा शिव चालीसा का Daily पाठ किया जाता है।  लेकिन कई बार भक्तजनों को शिव चालीस की पुस्तिका आसानी से नहीं मिल पाती है और जब वे online मोबाइल से पढ़ना चाहते है तो कई बार मोबाइल नेटवर्क नहीं आने से वे शिव चालीसा का पाठ नहीं कर पाते है। अत: इस समस्या के हल के लिए शिव भक्तों के लिए शिव चालीसा हिंदी में pdf फोर्मेट में यहाँ उपलब्ध कराई गई है, जिसे आप निचे दी गई download link पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते है और आसानी से रोजाना शिव चालीसा का जाप मोबाइल या टेबलेट से कर सकते है। 

Shiv chalisa pdf

शिव चालीसा में 40 चौपाइयां दी गई है जो भगवान शिव की महिमा का बखान करती है, इसमें आप हर प्रकार की अर्जी लगा सकते हैं जैसे यदि आप आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं तो ” धन निर्धन को देत सदा हीं, जो कोई जांचे सो फल पाही “ का जाप सुबह-सुबह 11 बार करने से धन-लक्ष्मी में वृद्धि होने लगाती है और आर्थिक समस्या दूर होने लगाती है। 

शिव चालीसा पढ़ने के अनेक फायदे हैं जैसे इससे आपको मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है और मन शांत रहता है, शिव चालीसा को पढ़कर आप अपने आराध्य देव भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं और अपनी मनोकामनाएं आसानी से पूरी करा सकते हैं। दांपत्य जीवन में सुख शांति और समृद्धि रहने के लिए भी शिव चालीसा का पाठकरना चाहिए, इसके अलावा अविवाहित लड़कियां भी सोमवार का व्रत करके और शिव चालीसा का पाठ करके अपना मनोवांछित वर प्राप्त कर सकती है।  

शिव चालीसा हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता महादेव शिव को समर्पित है और इसे उनकी स्तुति के लिए पढ़ा जाता है। इस चालीसा का उच्चारण भक्तों को शिव के आशीर्वाद से आशा करने के साथ-साथ उनकी समस्याओं और कष्टों से निवृत्ति प्रदान करता है। यह pdf फाइल आसानी से डाउनलोड की जा सकती है और उसे प्रिंट आउट करके शिव चालीसा का उच्चारण किया जा सकता है।

PDF Nameश्री शिव चालीसा | Shiv Chalisa PDF
No. of pages2
PDF size0.21MB
LanguageHindi
CategoryReligion & Spirituality
SourceShivchalisahindi.com
Download LinkAvailable

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FAQ (frequently asked questions)

कहते है की भगवान शिव स्वयंभू है अर्थात वे मानव शरीर से पैदा नहीं हुए थे। उनकी उत्पत्ति ब्रह्मांड की उत्पत्ति से भी पहले हुई थी और ब्रह्मांड खत्म होने के बाद भी भगवान शिव का अस्तित्व रहेगा।  हिंदू संस्कृति में उन्हें सबसे पुराने देवों में माना जाता है इसलिए उन्हें “देवों के देव महादेव” के नाम से जाना चाहता है।  

शिव पुराण के अनुसार गंगा नदी भगवान शिव की जटाओ से निकलती है अतः इस प्रतीक को मंदिर में स्थापित करने के लिए शिवलिंग पर पानी गिरता हुआ बनाया जाता है। 

शिवलिंग का मुहं पूर्व दिशा में होना चाहिए तथा इस पर पानी भी पूर्व दिशा में ही गिरता है।  

तुलसी के गमले में शिवलिंग रखकर कभी भी पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि तुलसी का पूर्व जन्म में नाम वृंदा  था और वह जालंधर नाम के राक्षस की पत्नी थी और जालंधर राक्षस भगवान शिव का सबसे बड़ा दुश्मन था।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करें। और शिव चालीसा का पाठ करे जिसमें भगवान शंकर की महिमा का बखान किया गया है। 

हमारे हिन्दू धर्म में प्रत्येक देवी-देवताओं की चालीसा लिखी गयीं हैं।  यहाँ “चालीसा” शब्द से अभिप्राय 40 से है अर्थात जिसमें 40 छंद /चौपाइ होती हो। सबसे शक्तिशाली चालीसा तुलसीदास द्वारा लिखित हनुमान चालीसा को बताया गया है। 

 भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है, वे स्वयंभू हैं अर्थात उनकी उत्पति स्वंय हुई है। लेकिन विष्णु पुराण में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी, विष्णु जी की नाभि कमल से उत्पन हुए जबकि भगवान शिव विष्णु के मस्तिष्क के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं।

भगवान शिव की पूजा करते समय सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए। 

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