पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री – पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक कैसे करते है

नमस्कार दोस्तों, आज इस लेख के माध्यम से आपको पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री के बारे में बताएँगे, साथ ही आपको पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री लिस्ट की पीडीऍफ़ भी उपलब्ध कराएँगे। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। भगवान शिव को सभी देवताओं का देवता माना जाता है, और उनकी पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री

शिव भक्त शिवलिंग की पूजा करके कर्मफल को संग्रहित करने का संकेत देते हैं। यह उन्हें कर्मों के फल को नियंत्रित करने की शक्ति देता है और कर्मों के सही दिशा में प्रवृत्त होने में मदद करता है। शिव पूजा और पार्थिव शिवलिंग की पूजा आध्यात्मिक साक्षरता को बढ़ावा देती है। यह विचारशीलता, मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देता है। 

पार्थिव शिवलिंग का अर्थ क्या है – 

पार्थिव शिवलिंग का अर्थ है की पृथ्वी से बनाया गया शिवलिंग अर्थात मिट्टी के बनाये गए कच्चे शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहते है। मिट्टी का शिवलिंग गाय के गोबर, मक्खन, गुड़, गंगाजल, भस्म और शुद्ध मिट्टी को मिलाकर बनाया जाता है। 

पार्थिव शिवलिंग को अक्सर भगवान शिव के लिंग रूप का प्रतीक माना जाता है। लिंग को हिंदू धर्म में सृष्टि की शक्ति के रूप में देखा जाता है और यह भगवान शिव के पुरुषत्व और शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करता है। पार्थिव शिवलिंग को अक्सर भगवान शिव की शक्ति और ऊर्जा का एक प्रतीक माना जाता है।

पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री में क्या क्या चाहिए – 

पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री

पार्थिव शिवलिंग पूजन के लिए सबसे पहले पवित्र नदी या तट की मिट्टी से एक शिवलिंग बनाया जाता है। इसके बाद शिवलिंग को गंगाजल से धोया जाता है और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद शिवलिंग को गाय के गोबर से लिपटा जाता है और भस्म से तिलक लगाया जाता है। अंत में, शिवलिंग को फूल, धूप, अगरबत्ती, दीप, चंदन, रोली, माला, नैवेद्य, जल और पूजा पाठ की पुस्तक से पूजा की जाती है।

पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री लिस्ट pdf

पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद उसकी पूजा की जाती है, जिसकी लिस्ट आपको यहाँ PDF की फॉर्म में दी जा रही है, जिसे आप डाउनलोड कर सकते हो।

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक कैसे करते है – 

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक एक प्रमुख शिव पूजा का रूप है, जिसे शिव भक्त और पूजारी अपने आदर्श और श्रद्धा के साथ करते हैं। यह पूजा शिव को समर्पित की जाती है और शिव भक्ति को अद्वितीय तरीके से व्यक्त करने का एक माध्यम होता है। निम्नलिखित हैं पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक की कुछ मुख्य चरण:

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक

1.पूजा की शुरुआत में, शिवलिंग को साफ पानी और गंगा जल से धो लें। इसके बाद लिंग को सफेद वस्त्र से पोषण दें।

2. शिवलिंग के सामने दीपक और धूप की आरती करें। आरती के साथ हरिहरास्तक या शिव चालीसा का पाठ करें।

3.रुद्राभिषेक के लिए शिवलिंग के ऊपर गंगा जल, दूध, दही, शहद, घी, गणेश जल, बिल्वपत्र, बिल्वर्चना और अक्षता का उपयोग करें। रुद्राभिषेक की सामग्री को शिवलिंग के ऊपर धारण करते समय मंत्रों का जाप करें।

4.रुद्राभिषेक के समय, शिव मंत्रों का जाप करें, जैसे कि “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्”।

5. पूजा के बाद, शिवलिंग को प्रदक्षिणा करें और फिर अपने प्रिय भगवान शिव का आभार व्यक्त करें।

6. अंत में, प्रसाद को शिवलिंग के सामने रखें और फिर उसे सभी उपस्थित लोगों को बाँटें।

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक सामग्री – 

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक एक महत्वपूर्ण शिव पूजा है, इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करें और पूजा के दौरान मनोबल बनाए रखें। पूजा के तरीके और सामग्री में कुछ स्थानिक विशेषताएँ हो सकती हैं, जो आपके स्थान और परंपराओं के आधार पर अलग हो सकती हैं, इसलिए स्थानीय पंडित या धार्मिक आध्यात्मिक गुरु से सलाह लें।

पार्थिव शिवलिंग पूजन विधि

1. पूजा प्रारम्भ करने से पहले, अपने हाथ धोकर शुद्ध करे, एक शुद्ध स्थान पर शिवलिंग को स्थापित करें, जैसे कि आलंब के ऊपर या पूजा स्थल पर।

2. पूजा के लिए शिवलिंग को पानी से धोएं। फिर उसे शुद्ध वस्त्र (साफ सफेद धोती या साड़ी) से ढ़कें।

3. शुद्धि विधि के बाद, पूजा करने का संकल्प लें। इसमें आप यह संकल्प ले सकते हैं कि आप शिव की पूजा कर रहे हैं और इसके साथ ही आप अपने मन, वचन, और क्रियाओं को भगवान की सेवा में समर्पित कर रहे हैं।

4. शिवलिंग को गंगा जल, दूध, दही, शहद और घी से रुद्राभिषेक करें। प्रत्येक सामग्री को एक-एक करके शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं और मंत्रों का जाप करें। “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्” जैसे मंत्रों का जाप करें।

5. रुद्राभिषेक के बाद आरती के लिए धूप और दीपक का प्रबंध करें। आरती करते समय, आप शिव चालीसा या हरिहरास्तक का पाठ कर सकते हैं।

पार्थिव शिवलिंग का पूजन कब करना चाहिए?

पार्थिव शिवलिंग का पूजन किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और सोमवार के दिन इसकी पूजा अधिक लाभदायक होती है।

महाशिवरात्रि को भगवान शिव का जन्मदिन माना जाता है, इसलिए इस दिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। 

पार्थिव शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करें – 

एक पत्थर को देवता बनाना ही प्राण प्रतिष्ठा कहलाता है। इसके लिए आपको पार्थिव शिवलिंग की विशेष पूजा करनी होती है – यदि आप अष्ट धातु, सोने या चांदी का, मिट्टी का शिवलिंग घर पर लाते हैं तो उसको आप घर में सोमवार की सुबह आप प्रणाम करके और भगवान शिव से यह बोलकर की भगवान शिव में आपको अपने घर लेकर जा रहा हूं, कृपया मेरे साथ चलिए और शिवलिंग को घर पर लेकर आ जाना है। 

 शिवलिंग को लेकर आने के बाद आपको पंचामृत से शिवलिंग को स्नान करना है जैसे दूध, दही, शक्कर, शहद, गंगाजल और शुद्ध जल से स्नान करना है।  स्नान करने के बाद आपको उचित रूप से पूजा करनी है। प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया के दौरान, शिवलिंग को फूलों, धूप, दीपक, अखंड दिया, बेल पत्र, रुद्राक्ष माला, बिल्वपत्र, अक्षता, और प्रसाद के साथ सजाकर पूजा करनी होती है। 

पार्थिव शिवलिंग को घर में कहां रखना चाहिए  – 

पार्थिव शिवलिंग को घर में पूर्व या उत्तर दिशा में रखना शुभ माना जाता है। पूर्व दिशा को भगवान शिव का स्थान माना जाता है, और उत्तर दिशा को ज्ञान और बुद्धि का स्थान माना जाता है। पार्थिव शिवलिंग को घर के पूजा स्थान पर या एक पवित्र स्थान पर रखा जाना चाहिए। पार्थिव शिवलिंग को कभी भी बेडरूम में नहीं रखा जाना चाहिए।

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आप You Tube पर पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री का वीडियो भी देख सकते है – 

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