नमस्कार शिव भक्तों, इस लेख के माध्यम से आपको आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति अर्थ बताएँगे, जिसको पढ़कर आप इस शिव स्तुति के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति में 8 संस्कृत श्लोक है, जिनको आप आसानी से याद कर सकते है, बशर्ते आपको इन 8 श्लोकों का अर्थ पता होना चाहिए, क्योंकि यदि आपको किसी श्लोक के शब्दों का अर्थ पता है, तो आप उस श्लोक को जल्दी याद कर सकते है।
भगवान शिव की स्तुति को यदि आप कंठस्थ मुँह जबानी याद करके इसका पाठ करते है तो, इसके अलग ही फायदे होते है। आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति में भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा की गई है। इसमें भगवान शिव को आदियोगी, दयानिधि, दानिश्वर, त्रिलोचना, विश्वनाथ, विशम्भर, सदा शिव, जगदीश्वर आदि नामों से संबोधित किया गया है। स्तुति के अंत में, भक्त भगवान शिव से अपने अपराधों की क्षमा मांगता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करता है।
आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति अर्थ सहित
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
अर्थ – हे प्रभु आप जल्दी प्रसन्न होने वाले, चंद्रमा को माथे पर धारण करने वाले और सिरमौली धारण करने वाले हैं, अर्थात जिनके सिर पर चंद्रमा है और जो चिदंबरा (काशी) में विराजमान हैं। अनगिनत लोग भगवान शिव को प्रणाम करते हैं। भगवान शिव को जो दिगम्बर (बिना कपड़ों के) हैं, उनको अनगिनत बार नमस्कार करते हैं।
निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा ॥
अर्थ – भगवान शिव निर्विकार (जिनका कोई आकार नहीं है ), ओमकार (ओम के रूप में प्रतिष्ठित) और अविनाशी (अमर) हैं। आप सभी देवताओं के देव है अर्थात आप महादेव है। आप ही जगत के सृजनकर्ता और प्रलयकर्ता हैं, यानी सम्पूर्ण सृष्टि को आप ही बनाते हो और समाप्त करते हो। आप ही शिव, सत्य और सुंदर हैं अर्थात् आपका शिव रूप सत्य और सुंदरता का प्रतीक है।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा ॥
अर्थ – आप निराकार रूप कालेश्वर के समान हैं, अर्थात् आप समय के स्वामी हो, जो बिना आकार के हैं। आप महान योगीश्वर हो अर्थात् योग के महान आध्यात्मिक गुरु हो। आप दयानिधि (करुणामय) और दानिश्वर (दान के स्वामी) हो, आपकी जय हो। आप जटाओं वाले और भयंकर रूप में रहने वाले हो, यानी आपका दिव्य रूप दर्शाता है कि आपका शक्तिशाली और डरावना भी हो सकते हो।
शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा ॥
अर्थ – आप त्रिशूल (तीन मुख वाला त्रिशूल) को धारण करने वाले हैं, जो शूल और पानी का प्रतीक है। आप औगड़ी बाघ की चमड़ी से बने आसन्न पर विराजमान होते हो अर्थात आप वनवासी बाघम्बर हैं। जय हो महेश (भगवान शिव) की, जिनके तीन नेत्र (त्रिलोचन) हैं। आप विश्वनाथ (जगत के नाथ) और विशम्भरा (भूमि के धारक) हैं।
नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा ॥
अर्थ – आप ही सबके नाथ हैं, नागेश्वर (सर्पों के स्वामी) हैं और हर है अर्थात समस्त दुखों को हरने वाले हैं। आप पापो ,सर्पों और अभिशाप (शाप) से दूर करने वाले है। आप महादेव (महान देवता) हैं और आप महान भोले (सरलता के मालिक) हैं। आप हमेशा शिव हैं, शिव (मंगलकारक और आशीर्वादकर देवता) हैं और संकरा (सम्पूर्णता का प्रतीक) हैं।
जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा ॥
अर्थ – हे जगत के पति (सम्पूर्ण जगत के स्वामी) अनुरक्ति और भक्ति हमेशा प्रत्येक भक्त में होनी चाहिए। भक्त हमेशा तेरे चरणों में रहना चाहिए। आप सभी पापों के लिए क्षमा प्रदान करने वाले हो। जय हो जगदीश्वर (सम्पूर्ण जगत के ईश्वर) की, आपकी जय हो
जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥
अर्थ – इस जीवन और संसार के जन्म के साथ आप सभी संताप और पापों का निवारण करते है। प्रत्येक मानव को मन और आत्मा को भगवान शिव के नाम “ॐ नमः शिवाय” के ध्यान में लगाना चाहिए। और पञ्चाक्षर मंत्र (ॐ नमः शिवाय) का जप हमेशा करते रहना चाहिए।
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
अर्थ – हे भोलेनाथ आपकी स्तुति करने पर आप शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हो, आपने अपने सिर (मुकुट) पर चंद्रमा को धारण कर रखे हो, आप धन्य हो आप काशी में विराजमान हो, जहाँ आपको लोग कोटि कोटि नमन करते है। हे बिना कपड़ो के रहने वाले भोलेनाथ आपको कोटि कोटि नमन है।
आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति अर्थ PDF
आशुतोष शशांक शेखर शिव स्तुति का अर्थ हमनें ऑनलाइन ऊपर उपलब्ध कराया है, यदि आपको इस स्तुति को ऑफलाइन पढ़ना है तो आप इसे निचे दी गई लिंक से पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते है और किसी भी समय इसका अपने मोबाइल में देखकर जाप कर सकते है।
भगवान शिव की उपासना के समय शिव स्तुति का पाठ करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह स्तुति एक सरल और सुंदर गीत है जो भगवान शिव के प्रति भक्त की भक्ति को व्यक्त करता है। यह शिव स्तुति विशेष रूप से शिवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों पर गाया जाता है।
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