नमस्कार दोस्तों, यदि आपको भी मेहनत करने पर फल की प्राप्ति नहीं हो रही है, बनते काम बिगड़ते जा रहे है, तो आपको भी भगवान शंकर का शिव पंचाक्षर मंत्र (shiv panchakshar mantra) का नित्य पाठ करना चाहिए। भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध मंत्र “ॐ नम: शिवाय” की उत्पति शिव पंचाक्षर स्तोत्र से हुई है, क्योंकि शिव पंचाक्षर स्तोत्र में पाँच श्लोक है, जिनकी शुरुवात पाँच अक्षरों से क्रमश: न-म-शि-वा-य से होती है।
प्यारे शिव भक्तों, इस लेख के माध्यम से आपको शिव पंचाक्षर मंत्र की लिरिक्स ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही है साथ ही इस मंत्र को ऑफलाइन में पढ़ने के लिए इसे PDF फॉर्मेट में उपलब्ध कराया गया है, जिसे आप मोबाइल या टेबलेट में सेव कर सकते हो।
इस लेख में शिव पंचाक्षर मंत्र से संबंधित सभी पहुलओं पर चर्चा की जाएगी ताकि आपको अधिक से अधिक लाभ मिल सके। शिव पंचाक्षर मंत्र को रोज 15-20 मिनट निकलकर सुबह या शाम इसका पाठ कर सकते हो और अपने आराध्य देव भगवान शिव को प्रसन्न करके मनोवांछित फल की प्राप्ती कर सकते हो।
Shiva Panchakshari Mantra Lyrics
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥1॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नम: शिवाय ॥2॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥3॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय, तस्मै वकाराय नम: शिवाय ॥4॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै यकाराय नम: शिवाय ॥5॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
पंचाक्षर का अर्थ
पंचाक्षर का मतलब होता है – जो पाँच अक्षरो से बना हो अर्थात शिव पंचाक्षर मंत्र पाँच अक्षरो न-म-शि-वा-य पर आधारित है, शिव पंचाक्षर मंत्र में पाँच श्लोक है जिनका पहला अक्षर क्रमश: न-म-शि-वा-य है। अर्थात पहले श्लोक का प्रथम वर्ण न है, दूसरे श्लोक का प्रथम वर्ण म है, तीसरे श्लोक का प्रथम वर्ण शि है, चौथे श्लोक का प्रथम वर्ण वा है, पाँचवे श्लोक का प्रथम वर्ण य है।
पंचाक्षरी मंत्र सिद्धि
पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि के लिए आपको सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव पंचाक्षर मंत्र का तीन बार जाप करना चाहिए, इससे आपके मस्तिष्क को आंतरिक शांति प्राप्त होती है और आपके मन में किसी कार्य के प्रति नकारात्मक विचार नहीं आते है और आपका कार्य सफल होता है।
शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप रूद्राक्ष माला के साथ करने पर मंत्र का अधिक प्रभावी होता है। इस मंत्र का जाप करते समय अपने मन को नियंत्रित करके भगवान शिव का ध्यान करे
पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि के लिए, धार्मिक और नैतिक आदर्शों का पालन करें। इस मंत्र को शक्तिशाली बनाने के लिए, अपने विचारों, वचनों, और कर्मों को उच्चतम मानदंडों के अनुसार आचरण करें।
इस मंत्र का पाठ और साधना मंदिर या गुरु की गाइडेंस में करने से बेहतर फल की प्राप्ति होती है। अत: इस प्रकार के लोगो से सम्पर्क करे और उनसे निर्देश लें जो पंचाक्षरी मंत्र की सटीक साधना की जानकारी रखते हैं।
Shiva Panchakshari Mantra PDF
शिव पंचाक्षर मंत्र का पाठऑनलाइन करने के लिए ऊपर हमने इसकी लिरिक्स उपलब्ध करा दी, लेकिन कई शिव भक्त रोजाना ऑनलाइन न पढ़ने की स्थिति में यँहा इस मंत्र की PDF भी उपलब्ध कराई जा रही है, जिसे आप डाउनलोड करके अपने मोबाइल में सेव कर सकते है।
निष्कर्ष
दोस्तों, हमने शिव पंचाक्षर मंत्र (shiv panchakshar mantra) की लिरिक्स के साथ साथ इसकी PDF भी उपलब्ध करा दी है। इस प्रकार आप इस पांच श्लोको के मंत्र का जाप रोजाना करके भोलेनाथ बाबा को प्रसन्न कर सकते हो और अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हो। हम आशा करते है की आप हमारी पोस्ट्स को अपने मित्रों एवं सम्बंधियों के साथ भी शेयर करेंगे। और यदि आपका कोई प्रश्न अथवा सुझाव हो तो आप हमें E-mail या comments करके बताये।
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शिव पंचाक्षर मंत्र का You Tube पर Video भी देख सकते है –
FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. शिव पंचाक्षर मंत्र क्या है?
शिव पंचाक्षर मंत्र पाँच अक्षरो (न म शि वा य ) से मिलकर बना होता है। इस मंत्र के पाँच श्लोक होते है जो क्रमश: न म शि वा य से शुरू होते है।
Q. पंचाक्षरी मंत्र से क्या लाभ है?
इस मंत्र का पाठ करने से मानसिक तनाव कम होता है, मन में नकारात्मक विचार नहीं आते है। और हर कार्य में सफलता मिलती है।
Q. शिव का पंचाक्षरी मंत्र कौन सा है?
शिव का पंचाक्षरी मंत्र पांच श्लोको से बना है जिसका पहला श्लोक न वर्ण से शुरू होता है, दूसरा श्लोक म वर्ण से शुरू होता है। इस प्रकार पांचो श्लोक “न म शि वा य” मंत्र बनाते है।
Q. शिव का शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?
शिव का शक्तिशाली मंत्र पंचाक्षर मंत्र है, जिससे “ॐ नम शिवाय” वाक्य की उत्पति होती है।