प्यारे शिव भक्तो, यदि आप भी मानसिक तनाव से ग्रसित है, मन विचलित रहता है, घर में सुख समृद्धि नहीं हो रही हैं , बना हुआ काम बिगड़ता चला जाता है , तो आपको भी आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तोत्र (shiv panchakshar stotra lyrics in hindi) का नित्य पाठ करना चाहिए। क्योंकि इस स्तोत्र से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की उत्पति होती है, जिससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते है और मनोकामनाएं पूरी करते है। इस लेख के माध्यम से आपको शिव पंचाक्षर स्तोत्र की लिरिक्स के साथ साथ इसकी PDF भी उपलब्ध कराई जाएगी।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र ॐ नमः शिवाय के पाँच अक्षरो (न, म, शि, वा, य) की स्तुति करता है। अर्थात शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पहला श्लोक ‘न’ से शुरू होता है और दूसरा श्लोक “म” से शुरू होता है। इस प्रकार आगे के श्लोको से “नमः शिवाय” मंत्र की उत्पति होती है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र से गुरु शंकराचार्य भगवान शिव की स्तुति करते है और इस मंत्र के महत्त्व को बताते है। जँहा नमः शिवाय का प्रत्येक अक्षर शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाँच श्लोकों के भावार्थ को निम्न प्रकार बताता है –
न – पृथ्वी तत्त्व
म – जल तत्त्व
शि – अग्नि तत्त्व
वा – वायु तत्त्व
य – आकाश तत्त्व को बताते है।
Shri Shiv Panchakshar Stotra
॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र अर्थ सहित
जो सर्प मुण्डमाला धारण करने वाले हैं और त्रिनेत्र धारण करते हैं” जो भस्मा और अंगारों से युक्त हैं और महेश्वर (शिव) हैं”। जो हमेशा शुद्ध और नग्न हैं”। उन शिव को मेरा नमन है, जो कारण को नहीं जानते हैं और जो कार्यों के लिए नहीं हैं”। इस वाक्य में शिव की उच्चता और अद्वितीयता का वर्णन किया गया है।
इस श्लोक के भवार्थ को शब्दांश “न” द्वारा दर्शाया गया है, जो पृथ्वी तत्व को इंगित करता है।1।
जो मन्दाकिनी नदी के जल और चन्दन से विभूषित हैं, जो नंदीश्वर (नंदी वाहन) हैं और प्रमथनाथ (यानी गणेश) और महेश्वर (शिव) हैं, जिनका पूजन मन्दार फूलों और विभिन्न पुष्पों से किया जाता है, उन शिव को मेरा नमन है, जो कारण को नहीं जानते हैं और जो कार्यों के लिए नहीं हैं।
इस श्लोक के भवार्थ को शब्दांश “म” द्वारा दर्शाया गया है, जो जल तत्व को इंगित करता है।2।
जिनका चेहरा गौरी (पार्वती) के लोटस फूल की तरह हैं, जो सूर्य के पुत्र दक्षाध्वर (दक्ष प्रजापति) का नाश करते हैं, जिनका गला नीला है और जो वृषभ ध्वज (नंदी वाहन) हैं, उन शिव को मेरा नमन है, जो कारण को नहीं जानते हैं और जो कार्यों के लिए नहीं हैं
इस श्लोक के भवार्थ को शब्दांश “शि” द्वारा दर्शाया गया है, जो अग्नि तत्व को इंगित करता है।3।
जो वसिष्ठ, कुम्भोद्भव, और गौतम आदि मुनियों द्वारा पूजित हैं, जिनके शिखर पर मुनि-इंद्र (गणेश) और देवताओं द्वारा पूजन किया जाता हैं, जिनके आँखों में चंद्रमा और सूर्य ज्योतिर्मय हैं, उन शिव को मेरा नमन है, जो कारण को नहीं जानते हैं और जो कार्यों के लिए नहीं हैं।
इस श्लोक के भवार्थ को शब्दांश “वा” द्वारा दर्शाया गया है, जो वायु तत्त्व को इंगित करता है।4।
जिनकी स्वरूपता यक्ष के समान है और जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ में पिनाक (शिव का धनुष) हैं और जो सनातन (अनन्त) हैं, जो दिव्य (दिव्यता से युक्त) हैं, देवताओं के प्रिय हैं और दिगम्बर (नंगे शरीर वाले) हैं, न शिव को मेरा नमन है, जो कारण को नहीं जानते हैं और जो कार्यों के लिए नहीं हैं।
इस श्लोक के भवार्थ को शब्दांश “य” द्वारा दर्शाया गया है, जो आकाश तत्व को इंगित करता है।5।
इस मंत्र में पञ्चाक्षर (ओं नमः शिवाय) का जाप करने की महत्त्वपूर्णता बताई जाती है और यह कहता है कि जो भक्त इस मंत्र को शिव के सन्निधान में अनुभव करेगा, उसे निश्चित रूप से पुण्य की प्राप्ति होगी। वह शिवलोक को प्राप्त होगा और शिव के साथ आनंदित रहेगा।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र की सही पूजा विधि क्या है?
1. सबसे पहले सुबह ब्रह्ममुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ व हल्के रंग के कपड़े पहनें, इसके बाद शिवलिंग पर दूध चढ़ाये और जल से अभिषेक करें।
2. इसके बाद शिव पंचाक्षर स्तोत्र पढ़ने के लिए पूर्व दिशा में मुँह करके कुशा के आसन्न बैठे।
3. पूजन में सफेद चंदन, चावल, धूप-दीप, कलावा, पीले फूलों की माला, सफेद आक के 5 फूल रखे।
4. पूजन सामग्री में इत्र और कपूर रखने पर आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
5. इस में पूजा शिव पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करे। यह सबसे सरल और सबसे प्रभावी मंत्र है।
6. ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप रूद्राक्ष माला के साथ करने पर शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ अधिक प्रभावी होगा
7. शिव चतुर्दशी के दिन विधिपूर्वक व्रत रखकर शिव पूजा-स्तोत्रों का पाठ तथा शिवकथा भी पढ़ना लाभदायी रहता है।
8. शिव के समक्ष अपनी प्रार्थना करें और आरती द्वारा उन्हें समर्पित करें।
9. पूजा के अंत में प्रशाद तैयार करें और उसे शिव और उनके भक्तों को बांटें।
Shiv Panchakshar Stotra PDF
दोस्तों ऊपर आपको शिव पंचाक्षर स्तोत्र की लिरिक्स दी गई है, जिसका आप आसानी से ऑनलाइन पाठ कर सकते है तथा साथ में इस मंत्र का हिंदी अर्थ भी पढ़ सकते है। यदि आपको ऑफलाइन shiv panchakshar stotra का पाठ करना हो तो आप निचे दी गई लिंक पर क्लिक करके उसे अपने मोबाइल में सेव कर सकते है।
निष्कर्ष
प्यारे शिव भक्तों, इस प्रकार हमने शिव पंचाक्षर स्तोत्र की लिरिक्स (shiv panchakshar stotra lyrics in hindi) उसके हिंदी अर्थ के साथ उपलब्ध कराई है, साथ ही इनको PDF फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराया है। इस प्रकार आप शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करके भगवन भोले नाथ को आसानी से प्रसन्न कर सकते है, और मानसिक तनाव और नकारात्मक विचारों से छुटकारा पा सकते है। दोस्तों ये पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करे और और आपके मन में कोई सुझाव हो तो निचे कमेंट जरूर करे।
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शिव पंचाक्षर स्तोत्र का You Tube पर Video भी देख सकते है –
FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. क्या भोलेनाथ असली है?
भगवान शिव अजर-अमर है, वे अदृश्य है।
Q. क्या शिव ब्राह्मण है?
देवताओं की कोई जाति नहीं होती। जाति, धर्म, वर्ग मनुष्य की उत्पति के बाद बने है।