रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में with PDF (shiv tandav saral bhasha mein)

प्यारे शिव भक्तों, यदि आपका भी शिव तांडव स्तोत्र सुनने के बाद इसको गुनगुनाने का मन करता है, लेकिन आप संस्कृत शब्दों को याद और सही उच्चारण नहीं कर पा रहे हो तो ,आप सही वेबसाइट पर आये हो, इस पोस्ट में आपको शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में (shiv tandav saral bhasha mein) उपलब्ध कराई जाएगी 

साथ ही आपको यह शिव तांडव स्तोत्र PDF फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिसको आप मोबाइल या टेबलेट में हमेशा के लिए सेव कर सकते हो और जब मोबाइल नेटवर्क या नेट नहीं हो तो भी आप इस शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सरल भाषा में कर सकते है।  

अगर आप किसी असाध्य रोग या मानसिक पीड़ा से ग्रसित है, आपको किसी का भय लगता है , तनाव से ग्रसित है, किसी तंत्र-मंत्र से ग्रसित है, मन शांत नहीं रहता है या कोई मनोवांछित इच्छा है तो आप को शिव तांडव स्तोत्र के 17 श्लोको का पाठ करना चाहिए इससे भगवान शिव अतिशीघ्र प्रसन्न होते है और मनोवांछित फल देते है। 

shiv tandav saral bhasha mein

| सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम् |

जटा-टवी-गलज्-जल-प्रवाह-पावित-स्थले
गलेऽव-लम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम्
डमड्-डमड्-डमड्-डमन्-निनाद-वड्-डमर्वयं
चकार चण्ड-ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥1॥

जटा-कटाह-सम्भ्रम-भ्रमन्-निलिम्प निर्झरी
विलोल-वीचि-वल्लरी-विराज-मान मूर्धनि।
धगद्-धगद्-धगज्-ज्वलल्-ललाट-पट्ट पावके
किशोर-चन्द्र-शेखरे रतिः प्रति-क्षणं मम: ॥2॥

धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-विलास-बन्धु बन्धुर
स्फुरद्-दिगन्त-सन्तति-प्रमोद-मान मानसे।
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरा-पदि
क्वचिद्-दिगम्बरे मनो विनोद-मेतु वस्तुनि ॥3॥

जटा भुजङ्गपिङ्गल स्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदान्धसिन्धु रस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्र-लोचन-प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर
प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठ-भूः।
भुजङ्ग-राज-मालया निबद्ध-जाट-जूटक:
श्रियै चिराय जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः ॥5॥

ललाट-चत्वर-ज्वलद्-धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा
निपीत-पञ्च-सायकं नमन्-निलिम्प-नायकम्।
सुधा-मयूख-लेखया विराज-मान-शेखरं
महा-कपालि सम्पदे शिरो जटाल-मस्तुनः ॥6॥

कराल-भाल-पट्टिका-धगद्-धगद्-धगज्-ज्वलद्
धनञ्जया-हुती-कृत-प्रचण्ड-पञ्च-सायके।
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्र-चित्र-पत्रक-
प्रकल्प-नैक-शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥7॥

नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्
कुहू-निशीथिनी-तमः-प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः।
निलिम्प-निर्झरी-धरस्-तनोतु कृत्ति-सिन्धुरः
कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्-धुरन्धरः ॥8॥

प्रफुल्ल-नील-पङ्कज-प्रपञ्च-कालिम-प्रभा
वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचि-प्रबद्ध-कन्धरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छि-दान्ध-कच्छिदं तमन्त-कच्छिदं भजे ॥9॥

अगर्व-सर्व-मङ्गला-कला-कदम्ब मञ्जरी
रस-प्रवाह-माधुरी-विजृम्भणा-मधु-व्रतम्।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्त-कान्तकं भजे ॥10॥

जयत्व-दभ्र-विभ्रम-भ्रमद्-भुजङ्ग मश्वस
द्विनिर्गमत्-क्रम-स्फुरत्-कराल-भाल-हव्य-वाट्
धिमिद्-धिमिद्-धिमिद्-ध्वनन्-मृदङ्ग-तुङ्ग-मङ्गल
ध्वनि-क्रम-प्रवर्तित-प्रचण्ड-ताण्डवः शिवः ॥11॥

दृषद्-विचित्र-तल्पयोर्-भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर्
गरिष्ठ-रत्न-लोष्ठयोः सुहृद्-विपक्ष-पक्ष-योः।
तृणारविन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोः
समं-प्रवृत्ति-कः कदा सदा-शिवं भजाम्यहम् ॥12॥

कदा निलिम्प-निर्झरी-निकुञ्ज-कोटरे वसन्
विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन्।
विलोल-लोल-लोचनो ललाम-भाल-लग्नकः
शिवेति मन्त्र मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥13॥

निलिम्प नाथ-नागरी कदम्ब मौल-मल्लिका
निगुम्फ-निर्भक्षरन्म धूष्णिका-मनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनीं-महनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्ग-जत्विषां चयः॥14॥

प्रचण्ड वाड-वानल प्रभा-शुभ-प्रचारणी
महा-अष्टसिद्धि कामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाह-कालिक-ध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥15॥

इमं हि नित्य-मेव-मुक्त-मुत्त-मोत्तमं स्तवं
पठन् स्मरन् ब्रुवन्-नरो विशुद्धि-मेति सन्ततम्।
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम् ॥16॥

पूजा-वसान-समये दश-वक्त्र-गीतं
यः शम्भु-पूजन-परं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथ-गजेन्द्र-तुरङ्ग-युक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥17॥

शिव तांडव स्तोत्र क्या है – 

शिव तांडव स्तोत्र में भगवान शिव की स्तुति में गायी गई 17 संस्कृत श्लोक है, जो लंकापति रावण ने तब रची थी जब भगवान शिव तांडव (क्रोधित) कर रहे थे। शिव तांडव स्तोत्र में भगवान शिव का रूद्र रूप का बखान रावण द्वारा किया गया है, इसलिए इसे ‘रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र’ भी कहते है। 

शिव तांडव स्तोत्र की उत्पत्ति कैसे हुई –

शिव तांडव स्तोत्र को रावण तांडव स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस स्तोत्र की रचना रावण द्वारा की गई है। इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोंको से भगवान शिव की महिमा गाई है। जब एक बार अहंकारवश रावण नें कैलाश को उठाने का प्रयत्न किया तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया। जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति गाई। रावण द्वारा गाई गई, यही स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है।

शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कैसे करें –

शिव तांडव स्तोत्र का पूर्णत: लाभ लेने के लिए इसका विधिवत पाठ करना आवश्यक है –  

1. सर्वप्रथम तो अपने आसपास एक शांत और शुद्ध माहौल तैयार करें, जहाँ शोर-शराभा नहीं हो, इसके बाद   

आप एक पूजा कक्ष, मंदिर या आपकी प्राथमिकता के अनुसार किसी अन्य स्थान का चयन कर सकते हैं।

2. इसके बाद आप शांतिपूर्वक बैठ जाएं और अपने मन को शुद्ध करें। ध्यान केंद्रित करें और शिवजी का ध्यान करें।

3. अब शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने के लिए अपनी स्वर-तरंग में सुखद और शांत ताल में आरंभ करें। आप इसे अपनी प्राथमिकता और योग्यता के अनुसार स्थानिक भाषा में या संस्कृत में पाठ कर सकते हैं।

4. पूरे स्त्रोत को एकबार में पूरा पढ़ने की कोशिश करें, परंतु यदि आपको पूरी स्त्रोत की लंबाई याद नहीं होती है, तो आप इसे ऊपर दिए गए स्त्रोत को पहले सरल भाषा में याद करे। 

5. जब आप स्त्रोत का पठ पूरा कर लें, तो अपने मन में शिवजी का आभार व्यक्त करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त  करने की प्रार्थना करें।

6. स्त्रोत पाठ के बाद, आप ध्यान को कुछ समय तक रखें और शांतिपूर्वक ध्यान अवस्था में बने रहें।

शिव तांडव कब पढ़ना चाहिए?

ब्रह्ममुहूर्त के समय, जब सृष्टि की शुरुआत होती है और मन शांत और प्रभावशाली होता है, आप शिव तांडव का पाठ कर सकते हैं। यह आपको एक शक्तिशाली आरंभ देगा और आपकी दिनचर्या में एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण जोड़ सकता है।

सूर्यास्त के समय (प्रदोष काल) जब दिन का कार्य समाप्त होता है और शांति की वातावरण बनती है, आप शिव तांडव का पाठ कर सकते हैं। इससे आप दिन के थकान में अपने मन को शांत करके आध्यात्मिक अनुभव को स्थापित कर सकते हैं।

शिव तांडव स्तोत्र के फायदे –

1. शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से भय से मुक्ति मिलती है, क्योंकि इस तांडव स्तोत्र में भगवान शिव के रूद्र रूप का बखान किया गया है। `

2. यदि आप पर किसी ने तंत्र मंत्र कर रखा हो तो आप नियमित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। 

3.  शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। यह मन को ध्यानावस्था में ले जाकर चिंताओं और तनाव से मुक्त करने में मदद करता है।

4. शिव तांडव स्तोत्र के पाठ से आनंद और उत्साह की भावना जागृत होती है और आपकी मनोदशा को सकारात्मकता की ओर प्रवृत्ति करता है।

5. इसका पाठ करने से आप महादेव की उपासना, भक्ति और ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। 

शिव तांडव स्तोत्र कैसे याद करें –

शिव तांडव स्तोत्र को याद करने के यहाँ 5 टिप्स दिए गए है – 

1. सबसे पहले प्रत्येक श्लोक को अनेक खंडो में तोड़ ले, क्योंकि छोटे वाक्य हमें जल्दी याद होते है।  

2.प्रत्येक श्लोक को याद करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाये – प्रथम दिन याद करने के बाद उसे तीसरे दिन उसको दोहराये, इसके बाद 7 वें दिन दोहराये, उसके बाद 15 वें और 30 वें दिन दोहराये। इस प्रकार वह श्लोक आपको हमेशा के लिए याद हो जाएगा। 

3. कोई भी सुनी हुई बात हमें जल्दी याद होती है, इसलिए शिव तांडव स्तोत्र को ऑडियो या विडिओ रूप में डाउनलोड करके उसे सेव कर ले और उसे दिनभर सुनते रहिये। 

4. यदि हम किसी चीज को समझकर याद करते है तो वह हमें जल्दी याद होती है अत: शिव तांडव स्तोत्र के   प्रत्येक श्लोक का भावार्थ को समझकर उसे याद करे। 

5.   यदि हम किसी पाठ को लिखकर याद करते है तो वो पाठ हमें जल्दी और हमेशा के लिए याद हो जाता है इसलिए शिव तांडव स्तोत्र  का लिखकर याद करने का अभ्यास करे। 

शिव तांडव बोलना कैसे सीखे –

शिव तांडव को बोलने के लिए उसका उच्चारण सही से आना चाहिए, इसके लिए जितना अभ्यास करो उतना कम है। शिव तांडव को याद करके दुसरो को सुनाने से भी श्लोको को अच्छी तरह से बोलना सिख जाते है। 

यदि आप शिव तांडव स्तोत्र का ऑडियो या वीडियो चलाकर उसके साथ साथ सही उच्चारण करे तो संस्कृत श्लोके जल्दी याद हो जाएगी।  इसके अलावा कई वेबसाइट और ऐप्प्स में इसको याद करने के गेम होते है जिनको खेलकर आप शिव तांडव स्तोत्र को जल्दी बोलना सिख जायेंगे। 

पहले कुछ आसान श्लोकों का पाठ करके शिव तांडव के अभ्यास में प्रवेश करें। जब आप इसे ठीक से बोलने में सक्षम हो जाएं, तब आप इसे पूरी तांडव के साथ पढ़ने के लिए आगे बढ़ सकते हैं। शिव तांडव को सीखने के लिए धैर्य रखें। यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है और उच्चारण को सही तरीके से सिखाने में समय लगता है।

शिव तांडव स्त्रोत की पौराणिक कथा

शिव तांडव स्त्रोत की पौराणिक कथा

  शिव तांडव स्तोत्र की उत्पत्ति से सम्बंधित एक रोचक कथा है – रावण भगवान शिव का परम भक्त था। रावण के पास सोने की लंका थी जिस पर वो काफी घमंड करता था। एक दिन उसने सोचा की क्यों न अपने आराध्य देव भगवान शिव को लंका लाया जाये और उन्हें सोने को लंका दिखाई जाये। रावण अपने पुष्प विमान से कैलास पर्वत की रवाना हो गया। रावण कैलास पर्वत पर पहुँचकर सबसे पहले नंदी से मिला और बोला की देव के देव महादेव को मै लंका ले जाने के लिए आया हु। और नंदी से बोला आप कृपया करके उन्हें ध्यान से मुक्त कराये और मेरी बात उनसे करवाए। नंदी ने बोला की इस काम के लिए मै भगवान शिव के ध्यान में व्यगं नहीं डाल सकता। रावण इस बात को लेकर क्रोधित हो गया और बोला मै कैलाश पर्वत को ही लंका ले जाऊंगा इससे भोलेनाथ का ध्यान में नहीं टूटेगा और वो वहाँ सोने की लंका भी देख लेंगे। रावण ने नंदी की कोई बात नहीं मानी और कैलास पर्वत को उठाने के लिए अपना हाथ पर्वत के निचे डाला। लेकिन भगवान शिव ने अपने अंगूठे से कैलास पर्वत को दबाया जिस से रावण का हाथ फस गया और कई कोसिस करने के बाद भी नहीं निकला। इस प्रकार रावण ने भगवान शिव का रूद्र रूप पहली बार देखा। तब लंकापति रावण ने शिवजी को शांत करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए 17 श्लोको की रचना की जिन्हे शिव तांडव स्तोत्र कहते है। इस प्रकार रावण द्वारा  शिव तांडव स्तोत्र का बखान करने पर ही शिव जी प्रसन्न हुए और रावण को दबे हुए पर्वत से बाहर निकला।  

शिव तांडव स्तोत्र के चमत्कार

शिव तांडव स्तोत्र एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा और महाशक्ति को वर्णित करता है। इस स्तोत्र के चमत्कारिक प्रभाव के बारे में कुछ लोगों की मान्यताएं हैं, जो उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर साझा की हैं। हालांकि, यह आपके आश्चर्यजनक या अद्वितीय फल की पूर्णता की गारंटी नहीं देता है और अच्छा होगा कि आप इनकी आधिकारिकता को ध्यान में रखें।

शिव तांडव स्तोत्र के चमत्कारिक प्रभाव कुछ ऐसे हो सकते हैं:

शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से आपको मानसिक शांति की अनुभूति हो सकती है। इस स्तोत्र के मंत्रों का पाठ मन को शांत, स्थिर और ध्यानग्रस्त करने में सहायता करता है।

 शिव तांडव स्तोत्र के द्वारा भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह स्तोत्र आपको आत्मिक संवाद में लाने और आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए शिव की आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता कर सकता है।

कुछ लोग शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करके अपनी रक्षा और सुरक्षा में सुधार का अनुभव करते हैं। यह स्तोत्र नकारात्मकता, बुराई और आपत्तिजनक शक्तियों से रक्षा कर सकता है और सुरक्षा की अनुभूति प्रदान कर सकता है।

Shiv Tandav Stotram Lyrics in English

प्यारे शिव भक्तों, आजकल के नवयुवकों को संस्कृत पढ़ने में संकोच होता है, आजकल इंग्लिश मेडियम में पढाई होने लगी है अत यहाँ शिव तांडव स्तोत्र को English Lyrics में भी दिया गया है, जिसे आप पढ़कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते है और मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते है – 

Jatatavigalajjala pravahapavitasthale
Galeavalambya lambitam bhujangatungamalikam
Damad damad damaddama ninadavadamarvayam
Chakara chandtandavam tanotu nah shivah shivam ||1||

Jata kata hasambhrama bhramanilimpa nirjhari
Vilolavichi valarai virajamana murdhani
Dhagadhagadhagajjval lalalata pattapavake
Kishora chandrashekhare ratih pratikshanam mamah ||2||

Dharadharendra Nandini Vilasabandhu Bandhura
Sphuradiganta Santati Pramodamanamanase
Krupakataksha Dhorani Nirudha-DurdharaPadi
Kvachidigambare Manovinodametu Vastuni ||3||

Jata bhujangaPingala SphuratPhanamaniPrabha
Kadambakunkumadrava Pralipta Digva Dhumukhe
Madandha Sindhu Rasphuratva GutariyaMedure
Mano Vinodamadbhutam Bibhartu Bhuta Bhartari ||4||

Sahasra Lochana Prabhritya Sheshalekha Shekhara
Prasuna Dhulidhorani VidhusaranGhripithaBhuh
Bhujangaraja Malaya Nibaddhajata Jutaka
Shriyai Chiraya Jayatam Chakora Bandhu Shekharah ||5||

Lalata Chatvarajva Ladhanajnjaya Sphulingabha
Nipita Pajncha Sayakam Namannilimpa Nayakam
Sudha Mayukha Lekhaya Virajamana Shekharam
Maha Kapali Sampade Shirojata Lamastunah ||6||

Karala Bhala Pattika Dhagaddhagaddhagajjvala
Ddhanajnjaya Hutikrita Prachanda Pajnchasayake
Dharadharendra Nandini Kuchagra Chitrapatraka
Prakalpanaika Shilpini Trilochane Ratirmama ||7||

Navina Megha Mandali Niruddha Durdharasphurat
Kuhu Nishithinitamah Prabandhabaddha Kandharah
Nilimpanirjhari Dharastanotu KrIti Sindhurah
Kalanidhana Bandhurah Shriyam Jagaddhurandharah ||8||

Praphulla Nila Pankaja Prapajncha Kalimprabha
Valimba Kanthakandali Raruchi Prabaddhakandharam
Smarachchidam Purachchidam Bhavachchidam Makhachchidam
Gajachchidandha Kachchidam Tamamtakachchidam Bhaje ||9||

Agarva Sarvamangala Kala Kadamba Majnjari
Rasapravaha Madhuri Vijrumbhana Madhuvratam
Smarantakam Purantakam Bhavantakam Makhantakam
Gajanta Kandhakantakam Tamanta Kantakam Bhaje ||10||

Jayatva Dabhravibhrama Bhramad Bhujangamaswas
Dwinirga Matkramasphuratkaral Bhaal Havyavaat
Dhimiddhimiddhimidhva Nanmrudanga Tungamangala
Dhvanikrama Pravartita Prachanda Tandavah Shivah ||11||

Drushadvichitra Talpayorbhujanga Mauktikasrajor
Garishtha Ratnaloshthayoh Suhrudvi Paksha Pakshayoh
Trushnaravinda Chakshushoh Prajamahi Mahendrayoh
Samam pravritikah Kada Sadashivam Bhajamyaham ||12||

Kada Nilimpa Nirjhari Nikujnja Kotare Vasanh
Vimukta Durmatih Sada Shirah Sthamajnjalim Vahanh |
Vimuktalola Lochano Lalama Bhala Lagnakah
Shiveti Mantramucharan Kada Sukhi Bhavamyaham ||13||

Nilimpa Nathanagari Kadamba Maulamallika
Nigumpha Nirbhaksaranma Dhusṇika manoharah
Tanotu No Manomudam Vinodinim Mahanisam
Parisraya Param Padam Tadangajatvi Sanncayah ||14||

Pracanda Vadavanala Prabhasubha Pracarani
Mahasta Siddhi Kamini Janavahuta Jalpana
Vimukta Vama Locano Vivaha Kalika Dhvanih
Siveti Mantrabhusago Jagajjayaya Jayatam ||15||

Imam He Nityameva Muktamuttamottamam Stavam
Pathansmaran Bruvannaro Vishuddhimeti Santatam
Hare Gurau Subhaktimashu Yaati Naanyatha gatim
Vimohanam He Dehinam Sushankarasya Chintanam ||16||

Puja Vasanasamaye Dashavaktra Gitam
Yah Shambhu Pujanaparam Pathati Pradoshhe |
Tasya Sthiraam Rathagajendra Turangayuktam
Lakshmim Sadaiva Sumukhim Pradadati Shambhuh ||17

शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में PDF

शिव तांडव स्तोत्र को PDF फॉर्मेट में प्राप्त करने के लिए निचे दी गई लिंक पर क्लिक करे –

निष्कर्ष

प्यारे शिव भक्तों, इस प्रकार हमने शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में  (shiv tandav saral bhasha mein) आपको हिंदी ओर इंग्लिश में उपलब्ध कराया है, साथ ही इनको PDF फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराया है। शिव तांडव स्तोत्र और शिव चालीसा हमें अपार शक्ति, साहस और भक्ति का अनुभव कराता है, जो हमें एक अद्वितीय और आनंदमय जीवन की ओर प्रेरित करता है। दोस्तों ये पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करे और और आपके मन में कोई सुझाव हो तो हमें कांटेक्ट या कमेंट करे। 

यह भी पढ़े – 👉 शिव पंचाक्षर स्तोत्र लिरिक्स With PDF

 शिव तांडव स्तोत्र का सरल भाषा में You Tube पर Video भी देख सकते है –

FAQ (Frequently Asked Questions)

Q. शिव तांडव स्तोत्र में कितने श्लोक हैं?

 शिव तांडव स्तोत्र में 15 श्लोक और 2 दोहे है। 

Q. क्या रावण ने शिव तांडव लिखा था?

हाँ,  शिव तांडव स्तोत्र को रावण ने लिखा था, जब भगवान शिव क्रोधित हो गए थे तो उनको प्रसन्न करने के लिए रावण ने पीड़ा में शिव तांडव की रचना की।  

Q. शिव तांडव गाने से क्या होता है?

शिव तांडव भगवान शिव के रूद्र रूप का बखान करता है, जिससे इसको गाने या पाठ करने से शरीर ऊर्जावान और भय से मुक्त होता है।  

Q. शिव तांडव में कौन सा छंद है?

शिव तांडव में पंचचामर छंद है।

Q. क्या शिव तांडव लोकनृत्य है?

शिव तांडव कोई लोकनृत्य नहीं है, अपितु यह भगवान शिव का क्रोध रूप में किया गया नृत्य (उछल-कूद) है। शिव तांडव को केवल पुरुष कर सकते है, महिलाएं नहीं।   

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