नमस्कार दोस्तों, आज इस लेख के माध्यम से आपको शिव महिम्न स्तोत्र के लाभ के बारे में बताने जा रहे है, मान्यता है कि शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने पर तमाम तरह के दान, तप और तीर्थाटन से भी ज्यादा पुण्य फल प्राप्त होता है। इसे पढ़ने वाला शिव भक्त सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में शिवलोक को प्राप्त होता है।
अगर बेटी का विवाह नहीं हो रहा हो तो, इस स्तोत्र का पाठ करें, जल्दी से अच्छा वर मिल जाएगा, जिसके व्यापार में कमी आ रही है, उन्नति नहीं हो रही है, वो इस समय स्तोत्र का पाठ करें तो आपका व्यापार ठीक हो जाएगा। जो अनुभवी भक्त है, उनका कहना है कि इसका पाठ करने से मनुष्य को कोई भी दुख छू तक नहीं सकता। भगवान शंकर का हाथ सदैव शिव महिम्न स्तोत्र के पाठक के मस्तिष्क के ऊपर रहता है।
चलिए यह जान लीजिए कि महिम्न स्तोत्र पाठ करने के बाद जिंदगी में क्या परिवर्तन होता है, ऐसा इंसान जो दूसरे का धन हड़पता है, दूसरों का धन चोरी करता है, दूसरों का चीज पर जो नजर रखता है, यानी पाप कर्म करता है। चोरी एक बहुत बड़ा अपराध है , इससे मन में अहंकार जागृत हो जाता है।
वह समझता है कि दुनिया मेरी है और मैं सब कुछ कर सकता हूं। उस इंसान के लिए महिम्न स्तोत्र सबसे बड़ा वरदान होगा। आप यह देखेंगे कि महिम्न स्तोत्र का अगर आप एक बार भी पाठ करते है, तो पाठ करने के बाद आपका अंदर से यह लगेगा कि आज तक मैंने जो भी किया है, वह अहंकार के कारण किया है।
मै कैसा इंसान हूं जो दूसरे को दुख दिया है और उसी टाइम आपके मन में यह संकल्प आएगा कि आज के बाद मुझे दूसरों को दुख नहीं देना है, दूसरों को दर्द नहीं देना है और आगे मुझे जिंदगी में अच्छा कर्म करना है और इसके बाद आपके मन में एक अद्भुत प्रकार की शांति आएगी। ऐसा शांति जो आप समझ जाएंगे कि यह कितना बड़ा स्तोत्र है।
इसको पढ़ने के बाद आप के अंदर जितने भी सारे चक्र है उसमें जो नेगेटिव ऊर्जा है, वह क्लीन हो जाती है। महिम्न स्तोत्र का पाठ करने के बाद आपके अंदर जो विकसित होगा, आप खुद कुछ महीने के बाद आप देखेंगे कि आपके साथ क्या परिवर्तन हुआ है। इसलिए इस चीज को कभी भी हल्का मत सोचिए।
अगर आपको इसका सही जागृत करना है, तो इसका महाशिवरात्रि के रात को आप जितना पाठ कर सकते हैं, करे जैसे 11 बार, 21 बार, 41 बार, 51 बार, 108 बार जितनी बार आप कर सकते हैं, उतना करिए कि आपके लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होगा।
अगर कोई इंसान घमंड के लिए किसी के ऊपर कोई गलत क्रिया किया है, यानी ज्ञान के माध्यम से किसी को दर्द पहुंचाया है और अंदर ही अंदर उसको महसूस हो रहा है कि मैंने कुछ गलत किया है तो उसे कुछ अच्छा करने का टाइम आ गया है, आप महिम्न स्तोत्र का पाठ करे।
लोगों के जिंदगी में यदि ऐसी भटकने जैसी स्थिति आती है कि वह अपने धर्म पर भी विश्वास नहीं कर पाते हैं या अपने आप धर्म में रहकर भी आप उस धन को क्षति पहुंचाते हैं, यानी उस धर्म के बारे में नेगेटिव बात बोलते हैं, भगवान के ऊपर आस्था नहीं रहता है, वे नास्तिक हो जाते हैं उन लोगो को इस स्त्रोत की इतनी क्षमता है, की आपको यह एक अच्छा आध्यात्मिक इंसान बना सकता है।
इसलिए शिव महिम्न स्तोत्र को अपनी दिनचर्या में लाइए, सुबह पूजा पाठ करने के बाद आप इसका पाठ कर सकते हैं लेकिन इसको अगर आप ब्रह्म मुहूर्त या शाम के समय में करेंगे तो, इसका आपको बहुत अच्छा फल मिलेगा।
संत आचार्य ने लिखा है शिव महिम्न स्तोत्र है शिव जी का ही उसका पाठ करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं पुष्प महिम्न स्तोत्र जिसके रचयिता हैं पुष्पदंत आचार्य उसका नित्य पाठ करने से भगवान शिव की कामना करते हैं
उनको यह कहा कि जब जब यह महिम्न स्तोत्र पाठ किया जाएगा, इससे बड़ा कोई स्तोत्र नहीं होगा और इसका एक-एक पंक्ति महत्वपूर्ण है,जो इंसान को मोक्ष तक भी ले जा सकता है और यह ऐसा स्त्रोत है जिसका कलयुग में या किसी अन्य युग में इसका अगर कोई पाठ करेगा वह उन्नति की तरफ जायेगा। पुष्पदंत शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से एक पावरफुल शक्ति बनती है।
शिव महिम्न स्तोत्र बोलना कैसे सीखे ?
पहले शिव महिम्न स्तोत्र को समझे, यह संस्कृत में है, इसलिए आपको अगर संस्कृत का उच्चारण नहीं आता है, तो इसका गलत उच्चारण ना करें। इसका जो हिंदी अनुवाद है या जो भी आपकी मातृभाषा है, उसमें समझे और उसका पाठ करे, इसके बाद धीरे धीरे संस्कृत सीखिए और उसके अनुसार शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करना शुरू करें।
हर शब्द को स्पष्ट और धीमी गति से बोलें।आप शिव महिम्न स्तोत्र का ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सुन सकते हैं और फिर उसका अनुसरण करके पाठ करना सीख सकते हैं। इसके अंदर कहा गया है की शिव महिम्न स्तोत्र को आप तीन बार शाम को पढ़े, लेकिन आप इसको एक बार भी पढ़ सकते हैं।